तुम्हारी यादों की खुमारी में,
हर लम्हा मैं खो जाता हूँ,
तुम्हारे बिना ये जीने की राह,
खुद से भी मैं डर जाता हूँ।
तेरी आँखों की चमक, जैसे चाँद की रोशनी,
मेरी रातों को सजाती, मेरी खामोशी।
तेरी बातें, जैसे मधुर बूँदें बहे,
सपनों की उन गलियों में, तुम ही तुम बहे।
तुम्हारे साथ में, हर दर्द मैं भूल जाता,
तेरे बिना इस दिल का हर धड़कना डराता।
तेरे होंठों की मुस्कान में,
छिपा हो जैसे सारा आसमान,
तेरे बिन ये जीवन, जैसे अधूरा गीत,
हर राग में हैं तुम, हर सुर में है रीत।
तुम हो तो मैं हूँ, तुम बिन मैं खाली,
तेरे प्यार का साया, जैसे बरसात की प्याली।
मैं चाहूँ बस तुझे, हर जन्म में, हर पल,
तेरे साथ बिताए समय की को महकता जल।
तुम हो मेरे अरमान, तुम हो मेरे सपने,
तुमसे ही तो ख्वाबों में ये खुद को पाता मैं।
तुम्हारे प्रेम की गहरी छाया में,
मैं जी रहा हूँ, बस तुम्हीं में।
तुम मेरी धड़कन, मेरी वज़ह हो,
तुमसे जुड़ी हर सांस, हर कदम हो।
प्यार में ये गहराई, सच में अनमोल,
तुम मेरी हर खुशी, तुम मेरा हर बोल।
तुम्हारे बिना अधूरा, जीवन का हर पल,
मेरी मोहब्बत है तुम, तुम ही हो सब कुछ, मेरी धड़कन का हल।
-कवि लोकेश
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