बिछड़ने का दर्द
तेरे बिना ये रात है वीरान,
दिलो में अब है सिर्फ़ पश्चाताप।
ख्वाबों में जो थे रंगीन,
अब हैं बस सुलगते सवाल, क्यूं?
तेरी हंसी की गूंज अब सुनाई नहीं देती,
हर मोड़ पर बस तेरी यादें हैं जकड़ी।
दिल के कोने में छुपी हैं बातें,
जो कभी निभाई थीं, अब हैं खोई।
वो मीठी मुलाकातें, वो बातें सारी,
अब बिछड़ने की कहानी में ढल गई हैं।
फिर से जीने की ख्वाहिश मन में पलती,
लेकिन तुझसे जुदा होने की सजा है भारी।
समझ नहीं आता, ये दूरी क्यों बढ़ी,
क्या ये प्यार था, या बस एक फसाना?
आँखों में अब धुंधलका छाया,
तू जो गया, मेरी खुशियाँ भी लुटा गया।
बिछड़ने का यह दर्द गहरा है,
फिर भी तेरी यादें अब एक सबक हैं।
चलना है आगे, ये दिल समझता है,
पर तेरे बिना हर राह अधूरी लगती है।
-कवि लोकेश
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