यहाँ एक कविता है ब्रेकअप पर:
तुमसे मिली थी, सपनों की रेशमी डोरी,
अब वो लम्हे हैं, बस एक अधूरी कहानी।
चने हुए थे हम, साथ चलने की राह पर,
अब तन्हाई में, बट रहा है ये अफसाना।
तेरी आँखों में था चाँदनी का तारा,
लेकिन धीरे-धीरे, सब कुछ हो गया धुंधला।
हंसते थे हम, पलकों में सपने सजाए,
अब हर हँसी में, छुपे हैं आँसुओं के साए।
कभी जो कहा था, वो आज भी याद है,
खुशियों की बारिश, अब सूखी एक बगिया।
तुने जो कहा था, वो वादा न निभाया,
तुम्हारे बिना ये दिल, अब राह भटकाया।
कभी वो क्षण थे, जो जीवन को रंग दे गए,
अब वो चुप्पी है, जो दिल को तड़पाए।
समय के हाथों में, अब सिर्फ खालीपन है,
तेरे बिना, मेरे प्यारे, बस शून्य का चमन है।
छोड़ दिया मैंने, सपनों का पीछा करना,
जिंदगी की राहों में, खुद को फिर से खोजना।
तू चला गया, रिश्तों की मिठास के संग,
अब मैंने सीखा है, खुद से प्यार करना।
-कवि लोकेश
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