बिछड़ने की घड़ी आई, दिल में एक खालीपन है,
ख्वाबों की दुनिया टूटी, अब यादों का साया कर्ता है।
तुम्हारी हंसी की गूंज थी, अब वो चुप्पी में खो गई,
प्यार के सफर की राहें, अब वीरानियों में खो गई।
हर पल में थे तुम, हर लम्हे में बसी थी खुशबू,
अब सिर्फ तन्हाई है, और रह गई बस यादें अधूरी।
हमने देखा था सपनों में, कैसे वक्त ठहरता है,
अब वो पल टुकड़ों में बंटा, और खालीपन मकरंद है।
तुम्हारे बिना ये दिल तड़पता, ये रेशमी धागा टूट गया,
जितना चाहा था तुम्हें, उतना ही सब कुछ छूट गया।
जिंदगी की किताब में, ये भी एक पन्ना है,
बिछड़ने का साया, अब वक्त की सजा है।
लेकिन चलना है आगे, दिल में कुछ नई उम्मीदें हैं,
बिछड़े हैं हम, पर ये प्यार की संजीवनी फिर से जीवित है।
-कवि लोकेश
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