विचारों की उड़ान,
जीवन के सारे बंधन।
करती मनुष्य को उत्तेजित,
नए काम करने की इच्छा पैदा करती।
जगाती उसमें जेलीर,
सपनों को जीने की देती मजेरी।
सृजनात्मकता की आहट,
उसके मन में भागधार छोड़ जाती।
उसकी मन की ज्वाला,
नये उत्साह की राहें जलाती।
इस उजाले में पार्न हो,
अपनी कल्पनाओं को पूरा करने को।
यह है संवैधानिक,
सपनों को साकार करने की शकाकारी।
जिससे मन मिलाये जुबान,
वही है मेरी इंस्पिरेशन।
-कवि लोकेश
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