तेरे जाने के बाद,
दिल ने अपनी मांग मांगी थी,
धड़कनों में भर के मेरे ख्वाबों को,
तूने तोड़ दिया था।
तेरी दूरी ने मेरे दिल को,
चीर के रख दिया है,
क्या मुमकिन है कि मैं,
अब भी तेरा हो जाऊँ।
ख्वाबों की छाँव में तेरे,
मेरी रातें गुजरती थी,
अब तन्हाई में बीतती हैं,
सारी रातें गुजरती हैं।
तेरी यादों की बरसात में,
मेरा दिल बेगाना हो गया है,
क्या मैं तेरे बिना जी सकूँगी,
ऐ खुदा बता दे मुझे।
कुछ तो दस्तूर बदल गया है,
अब मेरी ज़िंदगी तेरे बिना रुकी है,
कैसे भूलाऊँ तेरी मुस्कान को,
जिसने मेरे दिल को छू लिया था।
तेरे जाने के बाद,
दिल को समझाने की कोशिशें हैं,
पर क्या करूँ,
जब खुदा भी तुझे मेरे पास नहीं लाने की राह दिखाता है।
-कवि लोकेश
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