तेरे बिना मेरे दिन बीते
जैसे अंधेरा हो जिन्दगी में अब छाई है
तुझसे दूर होकर, मेरे सपने कहीं बिखरे
दिल का धड़कन भी अब कुछ डुब रही लगती है।
हमने सोचा था तुझसे हमारी कहानी
मिलकर ही चलेंगे हम साथ हाथ छोड़ने को किसी को नहीं
पर तूने मेरी इस वादी से दूर हो जाने कहाँ
तेरे इस फैसले ने तो मेरे दिल को फौलादी इश्क से कानभरा है।
अब तुझे खोकर, मैं हुआ ज़ख्मों से भरा
जीने की चाह भी हर रोज़ कम पड़ने लगी है
तू मेरे लिए था सब कुछ, हर खुशी, हर ग़म
पर अब ज़िंदगी लगती है मेरे लिए खुशियों का संगम।
फिर भी इस वक्त में लेता हूँ तुझसे वादा
तू कहीं भी हो, मेरी दुआओं में हर दम बसता है
पर जब भी याद आएगा तेरा नाम
तो दिल रोता है, बहुत याद आती है तेरी मुस्कान।
– दिल की भावनाएं, सोनाली
-कवि लोकेश
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