हंसी आती है जब ये कवि,
सोचता है कुछ मस्ती कर दे।
चाहे कोई हो गमंभीर या हंसी,
हर कोई करे हमसे प्यार वस्त्र।
चुटकुले बना रहे हैं हम,
हंसी भर रही है हर कोहिन।
चाहे ठंड में हो जा रही हो घुंघराली,
हमें फिर भी मिलती है फस्टी-तोहीनी।
हंसी का है ये जादू,
जिससे हर कोई हो खुश।
चाहे जो कुछ भी हो जाए,
हंसी के साथ हर मुश्किल हो रुश।
हंसते रहो, मुस्कुराते रहो,
खुलकर हंसो और खुश रहो।
इसी से हमारी फ़नी जिंदगी होगी,
आप साथ हमेशा रहो और भी कुछ दोस्त बनाओ।
-कवि लोकेश
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