बिछड़ने का मौसम
तुझसे जो मिला, वो ख़्वाब सा था,
हंसते-खेलते, वो समय सुनहरा था।
पर जब बिछड़ने का समय आया,
दिल की धड़कन, एक पल में थम गया।
तेरे बिना अधूरी, हर एक बात है,
आँखों में छुपा दर्द, बस एक रात है।
यादों के साये, हर कदम पर साथ हैं,
तेरे बिना ये लम्हे, अब बेहताशा हैं।
चंद लम्हें, चंद बातें, यूं ही खो गईं,
किसी की यादों में, बस मैं रह गईं।
वो मीठा सा हंसी, वो नज़रें भी अब,
सिर्फ सपना बनकर, मेरे दिल में रह गईं।
छोड़ गए तुम, मेरी हर ख्वाहिश को,
अब शाम की चाय में, चुप्पी है गहरी।
समझ नहीं आता, क्यों दिल तड़पता है,
क्या वादा किया था, वो ख़्वाब क्यों भुला है?
बिछड़ने का मौसम, बस आ गया है,
दिल के रिश्तों में, सर्दी छा गई है।
फिर भी एक दुआ, तुझसे है दिल से,
खुश रहो तुम, यही है मेरी ख्वाहिश में।
-कवि लोकेश
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