बिछड़ने का वक्त आया, दिल में दर्द की गहराई,
जो बातें थी कभी प्यारी, अब हैं खामोश, अलबेली।
ख़्वाबों के मेले में खोए, साथ चलते थे दिन रात,
अब खामोशियों की गूँज में, बस यादें रह गईं साथ।
दिल की धड़कनों में छुपा था, एक दर्द भरा संगीत,
तेरे बिना अधूरा हुआ मैं, जैसे बिना चाँद की रात।
तेरी हंसी की वो मिठास, अब बन गई सिर्फ तन्हाई,
सपनों की नदी में तू चला गया, मैं हूँ बस एक परछाई।
स्वप्नों की चादर लिए, हमने दिलों को जोड़ा था,
अब वो रिश्ता टूट गया, जैसे कोई तारा गिरा था।
हलकी बारिश में ढूँढूँ तुझे, फिर भी तन्हा रहूँ,
ये बिछड़न का आलम, बस यादों में सजा रहूँ।
वक्त के साथ सब भूल जाएँगे, ये सोच कर मुस्कुराएं,
पर दिल की गहराइयों में, तेरी यादें ना मर पाएँ।
-कवि लोकेश
Discover more from Kavya Manthan
Subscribe to get the latest posts sent to your email.