बिछड़ने का दर्द
तेरी यादों की हर एक लहर,
दिल में उठती है एक नज़र।
सपनों की दुनिया बिखर गई,
आँखों में आंसू, मन में सिहर।
तेरे संग बिताए पल,
अब बस एक गहरा खलिश।
कहाँ खा गया वो प्यार,
जो था एक वक्त की मिठास।
दिल के जज़्बात अब सूने,
खामोश हैं, जैसे चाँद बिना।
तू था आसमाँ, मैं तारा,
अब सब खाली, कहीं खो गया।
हर कोने में तेरा एहसास,
हर गली में तेरा नाम।
पर अब वक्त कहता है,
निकल चल, कर ले नया आराम।
वो खुशियों के पल, वो हँसी,
अब महज़ तस्वीरों में हैं जी।
छोड़ अपना दर्द पीछे,
चल अपने नए सफर की ओर।
आगे बढ़कर कर लूँ खुद को,
भूल जाऊँ तुझे, ये है मेरा नारा।
दिल के राज़ अब खोलूँ,
एक नए सवेरे का करूँ दीदार।
बिछड़ने का ये दंश तो सही,
पर खुद को पाना है ज़रूरी।
फिर से जी लेंगे हम,
ये दर्द भी रहेगा एक दिन नज़र।
-कवि लोकेश
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