तुम्हारे बिना जीना मुश्किल है,
कभी कहते थे हम एक दूसरे के लिए बने है।
लेकिन अब तुमने चाहा नहीं हमें,
दिल टूटा है, मन भरा है तन्हाई से।
तुम्हें खोई हमने जिंदगी की राह,
आने वाले मोड़ पर हमें अकेला पाया।
कितनी बार सोचा फिर से मिल जाएगा वो पल,
पर तुमने दिया हमें दर्द का खेल।
सोचता हूँ क्या था वो कारण,
जिससे तुम छोड़ चले मेरी तरफ ना देखन।
कहाँ गलती हुई, कहाँ तुमने माफी माँगी,
पर तुमने चुकाया नहीं बिचड़ने के दायरा इस सागर में।
फिर भी जिंदगी के इस सफर में,
खुद को ढूंढ रहा हूँ, अपने नए राह में।
क्योंकि तुम्हारा जाना ही है मेरी मजबूरी,
मुझे एक नई आरजू, एक नया सफर ढूंढना है अपनी जिंदगी की भरमार।
-कवि लोकेश
Discover more from Kavya Manthan
Subscribe to get the latest posts sent to your email.