तेरे अब हमारी जिंदगी से बिसराते चले गए,
दिल में जख्म छोड़ के, दर्द भर जाते चले गए।
हर रात तेरी यादों में खोए रहते थे हम,
तेरी खता से जुदा होकर, अकेले रोते रहते चले गए।
क्या था वो कसक के जब तूने मुझसे तोड़ा रिश्ता,
बेवजह दर्द और ग़म से गुज़रते रहते चले गए।
आँसुओं से भरी है हमारी रातें,
तुझसे दूर होकर अकेले चहकते रहते चले गए।
तुझे भूलने की कोशिश में है हम,
पर तेरी छाया बार-बार हमें सताते चले गए।
हमारी ये बिछड़नी थी किस्मत में लिखी,
सोच-समझकर तुने हमसे अलग होकर निकले चले गए।
कभी तू भी याद करेगा हमें,
जब हम दूर-दूर रहते चले जाएंगे।
तब तू भी एहसास करेगा इस वक्त का,
जब तूने बिना कुछ कहे हमें छोड़कर चले गए।
-कवि लोकेश
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