बिछड़न का अहसास
तेरे बिना ये रातें, अधूरी सी लगें,
सपनों की सुनहरी दुनिया, अब धुंधली सी लगें।
तेरे मुस्कान की छवि, मन में बसी थी,
अब यादों के सागर में, जैसे लहरें अटकी थी।
बातें तेरी, हंसी तेरी, सब कुछ खो गया,
दिल का जो रिश्ता था, वो भी तो टूट गया।
जिन लम्हों में था प्यार, अब वो खामोश हैं,
तेरे बिना ये जीवन, जैसे वीरान हो गए।
फिर से जीने की चाहत, पर यादों का बोझ,
अब कैसे संजोऊं मैं, तेरा वो पवित्र रोशनी का जोश।
दूरी ने छीन ली, वो प्यार भरी राहें,
बस अब रह गई हैं, तन्हाई की साँसें।
लेकिन मैं फिर भी चलूंगा, नए सपनों की ओर,
बिछड़न का ये अहसास, देगा मुझे नया जोश।
-कवि लोकेश
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