वो दिन था, जब हम थे साथ,
हंसते खेलते थे हम दोनों का ख़ास सा रिश्ता।
प्यार की राह में चलते चलते,
हम भूल गए थे अपना हर वादा और अपनी मोहब्बत।
वक़्त के साथ हर रिश्ते की सुध आती है,
हमारा भी था ये ख़ास भाव पर हमने ध्यान नहीं दिया।
सच्ची मोहब्बत थी हमारी,
पर इस ज़िन्दगी में वो नहीं था प्यारी।
हमारी बैठक रही जमींदोस्ती ही,
वो खास लम्हे थे कितनी कमी।
आज हम अलग हैं, बिन बात के,
किनारे पे खड़े हैं दोनों, पर दिल भी अभी तक रोता है।
ख़ुदा करे कभी ना हो ऐसे पल,
किसी के दिल में ना दगा देना, ना ही पा लेना किसी की ज़िन्दगी का ख़ास पल।
-कवि लोकेश
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