तेरी यादें सताती है,
मेरी सोच को भटकाती है।
तू ही था मेरा सपना,
पर अब तू मेरे दिल से जाना।
क्यों चला गया तू मेरे जीवन से,
क्यों किया तू बेवफा दर्द से।
मेरी तन्हाई को मैं कैसे सहूँ,
तू छोड़ कर गया मुझको रहूँ।
तेरी साथी हमेशा मैं था,
पर अब क्यों वोही लम्हा।
मेरे दिल को तू तोड़ दिया,
अब तक नहीं भूला वो दिन वो दिन जब मिला।
अब बस ये एहसास रहता है,
तू मेरे दिल के कुछ तुकड़े की तरह रहता है।
पर अब नहीं रही तेरी यादें मेरे साथ,
क्योंकि तू मेरे समय का एक अध्याय ही रहा।
सोचता हूँ अब भी क्यों,
पर खुशियों का ख्याल आता है मुझको रो।
तू मेरी ज़िन्दगी में एक पल की तरह आया था,
पर तेरा ख्याल आज भी मेरे दिल को बहुत सताता है।
-कवि लोकेश
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