तू क्यों अपने दर्द की गहराई में है,
मेरी आँखों में अब तेरी यादों की बरसात है।
तूने छोड़ दिया मुझे अकेला यहाँ,
मेरी जिंदगी में अब खुशियों की कमी बहुत है।
तेरी छोड़ गई बिना मेरी आँखों को नींद नहीं आती,
तेरी यादों की क्या कहूँ, उनसे भी मेरी बात नहीं होती।
मैंने किया था तुझसे प्यार इतनी दिन तक,
पर तेरी नफरत ने कर दिया मेरे दिल को भरकने से बाज।
अब मैं अकेला हूँ, खुद को खोकर भटक रहा हूँ,
तेरी छोड़ने के बाद मेरी जिंदगी अब खोखली लग रही है खँगी हूँ।
इस विचित्र राह में मैं अकेला चलता रहूँगा,
तेरे बिना मेरी साँसों में अब भी सितारे चलते रहेंगे।
फिर भी मैं बना रहूँगा, खुद को संभालकर,
क्यूंकि अपनी हालत को देखकर तुझे और दुख हुआ तक नहीं है।
-कवि लोकेश
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