दिल की बातें जो कह ना सके,
वो दिल तुझसे जुदा हो गया।
तेरे बिना जीना मुश्किल हो गया,
किया जो तूने वफा का वादा तोड़ दिया।
क्या गलती हुई हमसे,
तूने क्यों किया दिल टुकड़े?
क्यों नहीं बोला सच पहले,
जिससे कर सकते थे बातें तुम्हारे लिए अहम बातें।
क्या हमारे प्यार का था कोई मोल,
या सिर्फ खेल तेरी आजमाइश का?
दिल को अब यकीन हो गया,
तूने सच्चा प्यार नहीं दिया।
मन में छाई है दरार,
तू कैसे भूला दिया हमें?
धड़कनें छूटी, रूह टूटी,
बचा है सिर्फ इन आंसुओं में।
तेरे बिना जीना है अब यादों की दगर पर,
जी रहे हैं तो सिर्फ तेरे ख़्वाबों में।
जल्दी मिल जाना काश तुम्हें,
क्योंकि अब तक टूटने का दिल ताड़ने कर रहा है।
-कवि लोकेश
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