विच्छेद: उड़न मोह माया का


तुम्हारी यादें चिपकी हैं दिल के रूह में,
फिर भी जुदा हो जाने की क्या घड़ी थी।

तेरी हंसी, तेरी बातें, सब अब रह गए हैं,
आँसू बन गए हैं ये रिश्ते बिगड़ी थी।

तोड़ दिया दिल तुमने मेरा, क्यों किया ऐसा,
क़सम से सजा देना था, सजा बड़ी भारी थी।

दुखी हूँ मैं तुम्हारे बिना, पर जीना सीखूंगी,
क्यूँकि खुद को प्यार करना भी मुश्किल होगा पता।

अब तक मोहब्बत करते हैं, पर कैसे भूलूं तुमको,
तुम मेरे दिल की धड़कन थे, कितना है कर्ज जला।

वैसे भी अब तक रिश्ते जिदंगी खिचें हैं,
क्या जरूरत दिल के ग़म से और मिलावट से।

मगर ये सच है कि तुम मेरे लिए सब कुछ थे,
अब तुम्हारी जुदाई से जिंदगी समझ न होगी।

हाँ, एक अलविदा कहने की क्या बात है,
पर तुम सबसे अलग थे, तुम्हारी खातिर हारी थी।

रातें गुजरिं तुम्हारे बिना अब सोने में,
कभी कभार तुम्हारे ख्यालों से हंसी आ जाती है।

कितने भी कोशिश कर लूं भूलाने की,
पर तुम लहरा रहे हो मेरे दिल की छाइयों में।

तुम्हारी यादें मेरे साथ हैं हर क़दम पे,
अब बस एक ख्याल है, क्या खोया, क्या पाया।

-कवि लोकेश


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Lokesh T

एक हिंदी कवि के रूप में, मैं अपने शब्दों के माध्यम से जीवन की सुंदरता, जटिलता और बारीकियों को पकड़ने का प्रयास करता हूँ। अभिव्यक्ति की इस यात्रा में मेरे साथ जुड़ें क्योंकि मैं कविता की शक्ति के माध्यम से अपने विचारों, भावनाओं और अनुभवों को साझा करता हूँ।

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