तुम्हारे बिना ज़िंदगी अधूरी सी लगती है,
तुम्हारी ख्वाहिशों की गहराइयों में उलझी सी लगती है।
तेरे बिना मेरा जीना बस एक जंजीर सा है,
तेरी बेवफाई में मेरी आँखों से गिरती बूँदें सा है।
तेरे मोहब्बत की छाया में जीना था मेरी आदत,
तुम्हारी ख्वाहिशों की जंजीर में उलझते-उलझते बस मैं खो गया।
तुम हाथ छोड़ के जाने का फैसला कर दिया,
मेरे दिल में एक जख्म है, जो तुम्हारे जाने के बाद बहार।
तुम्हारी यादों में खोकर है मेरा दिल बेहाल,
तेरे बिना जीने की राह में सब कुछ है अधूरा।
अब तुम्हारी यादों से मुक्ति पाने की मेरी नयी चाहत,
बिना तुम्हारे जीने के नया आझादी का कदम।
तुम्हारी यादें हैं मेरे दिल की कसक,
पर अब तुम्हें मेरे दिल से भुलाने का संकल्प।
कोई तो पढ़ रहा होगी मेरी दर्द भरी कविता,
बस ये कहना चाहूंगा तुम्हारा ध्यान रखना, मैं शायर हूं।
-कवि लोकेश
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