बिछड़ने की वह लम्बी रात,
दिल में दर्द और आंसुओं की बारिश।
तुम्हारी यादों का जला दिया चिराग,
बहुत दर्द है, जाने कब होगी शांति।
तुम्हारे बिना जीना मुश्किल है,
कितने दिन बीते तुम्हारे साथ।
तुम्हारी अब जरूरत नहीं मेरे जीने की,
पर तुम्हारे बिना मेरा जीना अधूरा सा लगता है।
बेवफा तुम नहीं, बस हमारी किस्मत खराब थी,
शायद हमारी प्यार वो ताकत न थी।
लेकिन तुम्हारी छाया अब भी है मेरे दिल में,
कैसे भूलूं, वो प्यार और वादे जो अब हैं लहारों की तरह छिपे।
सोचते हैं आज तुम्हें भूल जाएंगे,
पर याद तुम्हारी बेवजह आती है आज भी।
बिछड़ने का दर्द शायद बस वक्त पास हो जाए,
पर तुम्हारी कमी हर दिन और अधिक कस्तूर हो जाए।
बिछड़ने का दर्द, ये अजीब सा एहसास है,
कोई चाहे ना उसे महसूस करे इस तरह।
पर कभी कभी, उसे वह एहसास करना भी पड़ जाता है,
कि बिछड़ना है उस इश्क के साथ जो किस्मत में नहीं था साथ।
बिछड़ने की तन्हाई बहुत ही अजीब होती है,
एक अजनबी की तरह हमें डराती है ये रातें।
पर कहता हूं मैं, ये तन्हाई है हमारी ताक़दीर,
कैसे भूल पाएंगे हम उस प्यार की कहानी जिसने हमें बिछड़ने के लिए तैयार किया था।
-कवि लोकेश
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