तोड़ दिया दिल को मैंने,
तोड़ दी उम्मीदें,
वो छोड़ गया मुझे अकेली,
मेरे दिल को तन्हाई में छोड़ दिया।
जब उसने कहा अलविदा,
मेरी रुह सुनी हो जैसे,
जीवन की मुसीबतों में डूबी,
मेरी आँखों में नज़रें नमी पाई।
कितना मुझे चाहा था,
मैंने उसे नहीं समझा,
क्यूँ बिगड़ी मेरी किस्मत,
आखिर क्या कसूर किया।
अब मेरे दिल में ख़्वाब नहीं रहा,
मेरी आँखों में आंसूओं की नदी बह गई,
उसके बिना मैं अधूरी हूँ,
खौफ इस बात का है कि वो कभी वापस नहीं आएगा।
तोड़ दिया दिल को मैंने,
तोड़ दी उम्मीदें,
वो छोड़ गया मुझे अकेली,
मेरे दिल को तन्हाई में छोड़ दिया।
-कवि लोकेश
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