बिछड़ने की कहानी
गुलाब की खुशबू, अब फीकी सी लगती,
तेरे बिना ये दुनिया, जैसे अधूरी सी लगती।
ख्वाबों की रेशमी चादर, अब बिखर गई,
हंसते-हंसाते पल, एक लम्हे में सफर गई।
तेरे संग जो पल बिताए, वो यादें मीठी हैं,
पर दिल की गहराई में, अब तन्हाई की रीत है।
सपनों का वह घरौंदा, अब वीरान सा है,
तेरे बिना हर आहट, जैसे सुनसान सा है।
आँखों में बसी तस्वीर, अब धुंधली हो गई,
तेरी हंसी की खुशबू, हर सांस में खो गई।
वादा किया जो हमने, अब वो झूठा है,
इश्क की दीवारों पर, अधूरा एक लिबास है।
चलो, विदाई की बेला में, जुदाई का ये ग़म है,
पर दिल में एक उम्मीद, कल फिर से मिलन है।
इस टूटे रिश्ते की कहानी, यूं सजा लूँ मैं,
खुद को ढूंढ लूँ फिर से, हर ग़म को भुला लूँ मैं।
-कवि लोकेश
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