टूटना
तुमसे मिला था एक नज़दीक,
दिल में थी ख्वाबों की गूंज,
लेकिन वक्त ने ली वो कलियाँ,
जिससे महका था मेरा चाँदनी जुनून।
तेरे साथ बिताए वो लम्हे,
जिन्हें दिल ने छुपा रखा,
अब वो यादें बिन दस्तक,
कोने में चुपचाप सड़ रहा।
सपने जो रंगीन थे कभी,
अब灰 हुए हैं, जैसे बादल,
तू चली गई तो मेरा आसमान,
बंजर हो गया, बिना रुके बाढ़।
तेरी हंसी में जो मिठास थी,
अब वो गूंजे सिर्फ अकेलेपन में,
हर मोड़ पर यादों की परछाईं,
दिल की गलियों में है वीरानी छाया।
लेकिन मैं अब चलता जाऊँगा,
खुद को फिर से पहचान लूँगा,
टूटने से जो मिला एक सबक,
हर खत्म पर है एक नई शुरुआत।
-कवि लोकेश
Discover more from Kavya Manthan
Subscribe to get the latest posts sent to your email.