तुमसे हो गई है हमारी तलाक,
मुझे ताबीज़ मिल गयी मेरे दिल की काली पुस्तक।
तुम्हारी मुस्कान, तुम्हारी बातें,
सब कुछ था मेरे लिए और महत्वपूर्ण।
पर तुमने चुना अलग सफर,
जिस पर मेरे साथ नहीं था कोई साथी।
अब भी तुम्हारे ख्याल आते हैं,
पर मेरे दिल में एक खलल सा बन गया है।
तुमसे हो गई है हमारी तलाक,
जिंदगी ने सिखा दिया है एक नया सबक।
धीरे-धीरे भुलाता हूँ तुम्हें,
पर तुम्हारी यादों से बाहर आना मुश्किल है।
अब तुम्हारी यादों से मुक्त होने की कोशिश करूंगा,
क्योंकि दिल अब नहीं करता है और उसका दर्द सहन।
तुमसे हो गई है हमारी तलाक,
अब सोचता हूँ कि क्या गुनाह किया हमने कि तुमने मुझे छोड़ दिया।
पर कोई गिला-शिकवा नहीं,
सिर्फ यादें हैं जो रह गई हैं मेरे दिल में बसी।
तुम्हारी खुशी के लिए हौसला रखता हूँ मैं,
पर अपने दर्द को छुपाकर जी रहा हूँ मैं।
तुमसे हो गई है हमारी तलाक,
पर जीने की चाह अब हमने खो दी है।
– तुम्हारा विश्वासवादी
-कवि लोकेश
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