
उठो और चलो, नये सपने साकार करने को,
आँखों में जगा दो, अपनी रौशनी को।
हर कठिनाई से लड़ो, हर मुश्किल को चुनौती बनाकर,
जीता जाए जिन्दगी को, खुद से ही बात करकर।
चाहे जितना भी बड़ा हो, आदमी का सपना,
अगर विश्वास हो, तो मिलेगा उसको सपनों का मकसद।
कोई नहीं रोक सकता, जो भी तुमने सोचा है,
विश्वास और मेहनत से, पाओगे वो सब कुछ जो चाहा है।
सोचो मत, बस करो, उस सपने की दौड़,
आगे बढ़ो, एक नयी राह खोजो, खुद को बदलकर।
जिन्दगी सिक्टेड, जिन्दगी तोह कल्पनाओं का मेला,
हर पल कुछ नया, हर दिन कुछ नया, हर सपने से मिला।
इसी ख्याल से कुछ नपुंसक, कुछ हो गया मरा,
इस ख्याल के साथ आए, निराशा सब मिटाए, बन जाए अद्वितीय मुर्गा।
जगाओ अपने अंदर को, सोने न दो उसे,
सच्ची इंसानियत का मशीन, कर डालो उसे।
जीवन में उत्कृष्टा पाओ, उत्तेजित होकर काम करो,
विचारों को साकार करो, खुद को पुरस्कृत करो।
इन्स्पिरेशन से भर जाए, तो जिन्दगी बन जाए खास,
अफ्फीम हो जाए तो सपने, सच्चाई बन जाए प्याली सी खास।
सपने से बड़े और कुछ नहीं, जीने का सच,
जीने का सच है सपनों का आदर्श।
-कवि लोकेश
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