सोचो कितनी रौशनी है,
जो देती है रुह को शक्ति की चीज।
जब विचारों में होता है उत्साह,
तब मिलता है सपनों का सहारा।
इंसान बन जाता है अद्भुत,
जब आगे बढ़ता है उसका सपनों का रुत।
कोई कहीं से आता है ख़्वाब लेकर,
उसकी कहानी को सुनकर हर कोई हो जाता है परेशान और उसका संघर्ष भी नया रचता है इतिहास।
इतनी है उसकी माँग,
इनसान की उम्र इनसानी रचनाओं में ही जान।
सचिन भी खुदा की थी महका,
तब है बना क्रिकेटर जो मिल गयी इस नदी का बहाव।
उसने आम इंसान होकर,
कामयाबी का सूरज दिखलाया।
संघर्ष का सहारा लेकर,
सपनों को पूरी करने को गू यावला।
तुम भी खुद कर सकते हो,
जो कि सच में करना हो।
बस तुम्हारा विश्वास हों,
तो नहीं रोग।
तुम्हारे सपनों से हों,
तुम भी शूर को जितकर दिखाओ।
तुम्हारे अंदर छुपा है वो,
जो देगा तुम्हे सफलता की किलकारी।
तो बाहर निकलो और उसे पाओ,
जो देगा तुम्हे नई ऊंचाइयों की चोटी पर स्थान।
जीतो जीने की कसम।
-कवि लोकेश
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