प्यार का रंग चढ़कर रहा,
दिल में भावनाओं का बांध हो गया।
चाहत की लहरें उसे बहकार,
मैं कैसे उसे भूलाऊं, ये सवाल हो गया।
उसकी चाहत में खोकर रहूं,
उसकी बाहों में समा रहूं।
प्यार की राहों में उसके साथ,
हर पल खुशियों का आवास हो गया।
उसकी मुस्कान में हो जाऊं खोई,
उसकी आँखों में मैं बस जाऊं रोई।
प्यार का एहसास हो जब पूरा,
उसके बिना जिन्दगी मेरे लिए विरास हो गया।
प्यार की गहराई में मैं खो गया,
उसके साथ जीने का मजा हो गया।
मेरी जिंदगी की रौशनी है वह,
मेरे दिल की धड़कन है वह जो हो गया।
प्यार का रंग चढ़कर रहा,
दिल में भावनाओं का बांध हो गया।
चाहत की लहरें उसे बहकार,
मैं कैसे उसे भूलाऊं, ये सवाल हो गया।
-कवि लोकेश
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