तुम्हारे बिना ये दिल बेचैन है,
कैसे समझाऊं की ये खो गया चैन है।
तुम्हारी यादों में खोया है दिन रात,
कैसे भूलाऊं तुम्हें, ये कैसे कर पाऊं बात।
तुम्हें खोने का दर्द है बहुत गहरा,
कैसे समझाऊं कि अब मेरा दिल है बहुत भारी।
तुम्हारे बिना जीना मुश्किल है,
कैसे बताऊं कि इस ब्रेकअप का दर्द कैसे कम करूं मैं।
प्यार का ख़्याल भी दिल में छुपा है,
तुम्हारे बिना मेरा जीना कैसा, ये बस तुम ही जानो।
वो तो थे हम साथ में हर कदम पे,
अब कैसे बताऊं की तुम्हें खो कर मेरी जिंदगी बस पहले से ही अधूरी है।
तुम्हारे बिना ये दिल बेचैन है,
कैसे समझाऊं की ये खो गया चैन है।
-कवि लोकेश
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