दरारों का सिलसिला


तेरे जाने के बाद, मेरी जिंदगी कुछ अधूरी सी लगी,
तन्हाई ने छेड़ दी मेरी दिल की दरार,
तू नहीं होता है इस दिल की धड़कनों में,
मेरी रूह को तेरा ख्याल बहुत बेकार।

तू जो था मेरे साथ, हर पल मेरे साथ,
हर खुशी हर ग़म तेरे साथ ही था,
पर तेरे बिना मेरी जिंदगी कुछ भी नहीं,
कैसे कहूँ तुझे, की तू मुझे याद आ ही था।

ये दर्द, ये ग़म, ये अलविदा की रातें,
सब तुझसे ही थे, सब तुझसे ही बुलावा।
महसूस होता है तेरी कमी हर पल,
तू नहीं है मेरे पास, तो ये दिल क्यों बस न जाव।

लेकिन एक दिन, होगा इस दर्द का अंजाम,
ये तेरे साथ होना, मेरे लिए हो सकता एक सपना।
फिर ना जुदा होंगे, हम दोनों कभी,
फिर साथ जीना हमारा होगा एक नया आराम।

ताकि छूटें इस दर्द की क़ैद से,
और हम फिर से हो जाएं एक दूसरे के साथ।
तुझसे मोहब्बत करूँगा मैं हर ज़िन्दगी,
पर इस ब्रेकअप की पात्र है अब बस ये दुआ।।

-कवि लोकेश


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Lokesh T

एक हिंदी कवि के रूप में, मैं अपने शब्दों के माध्यम से जीवन की सुंदरता, जटिलता और बारीकियों को पकड़ने का प्रयास करता हूँ। अभिव्यक्ति की इस यात्रा में मेरे साथ जुड़ें क्योंकि मैं कविता की शक्ति के माध्यम से अपने विचारों, भावनाओं और अनुभवों को साझा करता हूँ।

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