तूझसे बिछड़ के, मेरी जिंदगी बदल गई,
क्या कहूं कैसे ज़हरे सा रिश्ता टूट गया।
तेरी यादों का मेरे दिल पर अधिकार था,
पर तू चली गयी, मेरे सपनों से भर गया क़ब्र।
रात भर आँसू बहाता हूँ, दिनभर तेरा ख्वाब देखा करूँ,
पर दिल की चोट अब भी गहरी है, जो न भर सकी तू मिलकर।
कैसे भूलाऊँ वो पल, जब हम साथ थे,
हालातों की मार, मेरे दिल को तोड़ गई।
तेरे बिना जीना अब मुश्किल है,
पर कोई नहीं तू मेरी ख्वाबों में है।
कहते हैं वक्त इलाज कर देता है सब कुछ,
पर मेरे दिल की ये ख़ामोशी, हर बार तुझे याद दिलाती है।
कितना कुछ कहने को मन किया है,
पर मेरी ज़बान ज़िन्दगी से हार गई है।
तूझसे बिछड़ के, मेरी जिंदगी बदल गई,
क्या कहूं कैसे ज़हरे सा रिश्ता टूट गया।
-कवि लोकेश
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