बिछड़ने की घड़ी आई, आंसू संग लहराए,
दिल की धड़कनें थमीं, यादों के बादल छाए।
छूट गया हाथ तेरा, वो मिठास भरे क्षण,
हर कंठ में गूंजे हैं, वो प्यारे बिछड़े गीत।
चाहत की राहों में, ख सपनों की गाड़ी,
समय ने तोड़ा जो, वो ख्वाबों की साड़ी।
तेरे बिना ये शहर, अधूरा सा लगता है,
हर कोने में तेरा, एक साया सा रहता है।
रंगों की चादर ओढ़े, अब तो सर्द रातें हैं,
बिछड़ने का मौसम, बस सिसकियाँ और बातें हैं।
फिर भी मैं मुस्कुराता, अखियों में है गहराई,
दिल के उस कोने में, बची है एक امید की फुलवारी।
शायद फिर से कभी, मिलें नए सफर में,
इस दर्द के बादल छंटें, खिलें फिर से उमंग में।
-कवि लोकेश
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