बिछड़ने का दर्द
तेरे बिना हर सुबह अधूरी लगती है,
तेरी यादों की छाया, हर रात मुझे रुलाती है।
पलकों पे रखा था मैंने तेरा एहसास,
अब तन्हाई में ये ज़िंदगी जैसे बेतरतीब सवाल।
कभी हँसते थे हम, अब बस बातें अधूरी,
ख्वाबों में आती है वो, जब रात होती काली।
दिल की दीवारों पर लिखा है तेरा नाम,
लेकिन अब ये लफ्ज़ बन गए हैं एक दाग़, एक अंजाम।
सपनों की रंगीनियाँ धुंधली हो गईं,
तेरी यादों की खुशबू, जैसे हवा में खो गईं।
कहते हैं वक्त सब कुछ ठीक कर देता है,
पर ये जख्म, हर बार फिर से चुभ जाता है।
ख़ुद से भी मिलना अब मुश्किल हुआ,
तेरे बिना ये दिल खाली सा लगता है।
बिछड़ना तो सच है, पर भूलना नहीं,
तेरी मोहब्बत का साया, कभी मिटता नहीं।
आगे बढ़ने की बातें लोग करते हैं,
लेकिन दर्द के मंजर में, सब अकेले हैं।
हर मोड़ पर यादें हैं, हर गली में तू है,
बिछड़ने का ये सफर, अभी खत्म नहीं हुआ है।
-कवि लोकेश
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