बिछड़ने का दर्द
चली गई तुम, मेरे ख्वाबों की रानी,
सपनों की दुनिया, अब लगती वीरानी।
हर लम्हा तेरे बिना तन्हा सा लगे,
दिल में उमड़े जज़्बात, बस चुपके रहे।
तेरी हंसी की गूंज, अब सुनाई नहीं देती,
तेरे बिना ये दुनिया, अधूरी सी लगती।
छोटी-मोटी बातें, वो प्यारे से लम्हे,
सादगी में बसी थी, अब सब लगे हैं भरम से।
आँखों में भरी हैं, यादों की बारिशें,
हर एक टेस्टीला, अब बन गई कशिशें।
तू थी तो जिंदगी में रंग बरसते थे,
अब तो बस बंजर, खामोश रातों के साये थे।
चल पड़े हम दूर, अपने-अपने रास्तों पर,
भूलना चाहा, पर दिल ने किया मुझसे सगुन पर।
जुदाई की ये राहें, कितनी कठिन हैं,
तेरे बिन ये लम्हें, बस सूनसान हैं।
फिर भी हमें जीना है, समय के साथ चलना है,
शायद एक दिन, हमें फिर से मुस्कुराना है।
तेरे साथ बिताए हर पल को संजो लूंगे,
इस बिछड़ने के दर्द को, अपने में समेट लूंगे।
-कवि लोकेश
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