विचारों का ज्योति,
जीवन की भूमि पे रोशनी छोड़ती,
उस रोशनी की लहरों में,
हर तकलीफ को तू भुलाईं मिलती।
एक सूरज की तरह,
तू सबको रोशनी में लपेटती है,
हर चुभती चोट को,
तू खुद को समेटती है।
रूके ना कभी,
तू हर मुश्किल से आगे बढ़ती है,
चुनौतियों को स्वीकार कर,
तू नये रास्ते खोजती है।
उस प्रेरणा का सफ़र,
जिससे हर कोई लगातार जुड़ता है,
तू है संग तुझे जो,
हर हाल में जीत लाता है।
इन शब्दों का ज़रा सोच,
तेरी प्रेरणा में है जो ज़िन्दगी नए रोप में बुनती है।
-कवि लोकेश
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