बिछड़ते हैं हम एक दुसरे से,
बिखरती हैं दिलों की कहानी,
बिना किसी ज़रूरत के हमने,
कट्टरता में धर दी मिट्टी.
दर्द बढ़ता है हर पल,
अलविदा की गहराई से,
खो बैठे हैं हम खुद से,
किसी और की कहानी में.
कुछ तो बात हो गई थी हमें,
अनजानी राहों पर ले जाने की,
मुसाफिर बनकर हमने,
एक दूसरे को भूलाने की.
अब बस इतना है कि,
यादों की इस तुम्हारे साथ की,
जेरे कोई क़सर न रह जाए,
हमारी दिल की ये वार्ता की।
-कवि लोकेश
Discover more from Kavya Manthan
Subscribe to get the latest posts sent to your email.