छुट्टी का दिन आ गया,
तुम्हारे बिना जीना सही नहीं लगा।
तुम्हारी यादें सताती हैं,
तुम्हारे बिना मुझे रातें बिताती हैं।
जब साथ थे तो सब अच्छा था,
दिल का हाल कहना मुश्किल है अब खुदा।
अलविदा कहना पड़ा तुम्हें,
मैंने किया तुम्हारे बिना जीने का प्रयास।
प्यार का रास्ता है यह खेलता,
मेरी खुशियों को तुमने बर्बाद कर दिया।
धीरे-धीरे मेरा दिल टूटता गया,
तुम्हारे बिना जीना मुश्किल हो गया।
छोड़ गए तुम मुझे अकेला,
मेरी रातें अब तन्हा हो गई हैं।
अब तुम्हारी याद तक मुझे सताती है,
बातें करने को मुझे तुम्हें याद आती है।
अलविदा करना पड़ा तुम्हें,
छोड़ गई तुम मुझे अब अपने ही हाथों से।
कोई नहीं जानता मेरा दर्द,
कोई नहीं समझता मेरी तलाश।
प्यार का खेल खत्म हो गया,
तुम्हारे बिना जीने की चाह मेरे दिल में छाई है।
छुट्टी का दिन आ गया,
तुम्हारे बिना जीना सही नहीं लगा।
-कवि लोकेश
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