अब तुम्हें मेरी यादें भी चुभती होंगी,
मुझे तुम्हारी खोज में गुम होने दो।
यादें हैं मेरे दिल की छांव,
तुम्हें भुलाने का ज़रा समय दो।
दिल टूटा है मेरा तुम्हारे बिना,
क्यों भुलाना चाहो तुम मुझे जितना।
खुशियां हैं अब सुनी-सुनी सी,
तुम्हें देना चाहेंगे मुझे हर एक सनम।
जाना है तुम्हें अब मेरे इस दिल से,
दिल के जख्म को भरने दो दर्द से।
एक नया सफर है मुझे करने को,
तुम्हारे बिना है मुझे अब ज़्यादा सही।
-कवि लोकेश
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