इस तन्हाई में जब सब छूटे,
तेरी यादों के साथ मेरी खुशियाँ भी लुटे।
वो दिन, वो पल, जब हम साथ थे,
बीते वक्त को फिर से जीने की चाहत थी।
पर क्या करें, हालात की मजबूरी,
तेरी बिना जीने की अधूरी तकदीरी।
मन में कहीं बातें दबी हुई हैं,
तेरी छुट्टी ने जीने की राह बदली है।
अब तुझसे मुलाकातें, चाहतें कि सोछ कर,
दिल धड़कता है, खुद को झुकाता है।
तेरे बिना जिन्दगी, बंदिशों में उलझी हुई है,
एक और मौत को जीने के बहाने ढूंढती हुई है।
पर मैं जानता हूँ, कि इसका भी एक मकसद है,
तू मेरे लिए एक सपना था, जिसे सच में बदला है।
तुझसे बदलकर भी, हमें खुद को पहचाना है,
और अपने सपनों की दुनिया में आगे बढ़ाना है।
ये छुट्टा हमारा क़िस्मत का रंग है,
जो तुझसे अलग हो कर एक नयी शुरुआत का दंग है।
तो इस ब्रेकअप का सामना जीत के करो,
क्योंकि नया जीवन मिलेगा, जब पुराना हारो।
-कवि लोकेश
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