तुम्हारे बिना जीना अब ये मुश्किल हो गया,
तुम्हें चाहकर भी दूर तुमसे जाना पड़ा।
मेरी आंखों से बहते आंसू,
तुम्हारी यादों का ख्वाब बनकर रह गए।
मोहब्बत का सच समझने में हो गई गलती,
तुम्हें खोना मेरे लिए एक दर्द बन गया।
अब जीने की है ये आदत सीखनी,
तुम्हारे बिना अब मैंने खुद को संभालना सीखा।
तुमसे मोहब्बत की यादों को अपने दिल से मिटाना होगा,
फिर हो सकेगा मेरे दिल का दर्द कम।
आशिकी का सफर यहाँ कहानी खत्म हो गई,
तुम्हारे साथ बीते पलों को अब मैं भुलाना जाना पड़ा।
अब अकेले से चलना होगा मुझे,
तुम्हारे बिना अब इस जिंदगी को अपने ढंग से जीना होगा।
-कवि लोकेश
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