प्रेम की आरजू में, दिल की है बात,
हर धड़कन में बसी है, तेरा ही साथ।
चाँदनी रातों में, तेरे ख्वाब सजाऊं,
तेरी हंसी की melodies में, खुद को भुलाऊं।
तेरे बिना सूनी हैं, हर एक राहें,
तेरे संग दिल में, महकती है चाहें।
तेरे नज़रों की रोशनी, मेरे सपनों का जादू,
तेरे संग बिताया हर लम्हा, है जैसे कोई बादू।
जब तकाते हैं तारे, जब होती है बारिश,
तेरे बिना हर खुशी, लगती है अधूरी सी ताज़गी।
तू ही मेरा आसमान, तू ही मेरी ज़मीं,
तेरी मोहब्बत में पाया, मैंने सच में सुख और विश्वासी।
तू क्यों नहीं जानती, तू कितनी प्यारी है,
तेरे बिना यह दिल, जैसे कोई तन्हा सिपाही है।
प्रेम की इस कहानी में, हम दोनों का नाम,
आओ मिलकर लिखें, अपने सपनों का एक नया पैगाम।
-कवि लोकेश
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