छूट गया है वो सपना
टूट गया है ये हर्ष
बिखर गया है जीवन
बस रही है ये दर्द की धवंस
तुम्हारे बिना जीना
अब मुमकिन नहीं
ये दिल टूट गया है
तुम्हारे बिना एकाकी रह गया है।
गुलाब के पाते गिर गए
मेरे प्यार के ख्वाब भी टूटे
दिल में बसे थे खुशियों के सपने
सब खो गए तुम्हारे जाने के बाद।
तुम्हारी यादों की छाया
मेरे दिल को छू गई है
कभी किया हमने था गुलिस्तान
आज बस है ये अँधेरा भर जीवन।
छोड़ गया है तुमने उस दिन
मेरे दिल को तोड़ कर
कर गई है बर्बाद
मेरी आँखों में आंसू बहाकर।
मोहब्बत की राहों में
आज हम अजान बन गए हैं
जहां तुमने छोड़ा है मुझको
वहां से हम अनजान बन गए हैं।
गुलाब के पाते गिर गए
मेरे प्यार के ख्वाब भी टूटे
दिल में बसे थे खुशियों के सपने
सब खो गए तुम्हारे जाने के बाद।
-कवि लोकेश
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