तुम्हारी वापसी की उम्मीद में,
दिन रात बीत जाते हैं।
मेरे दिल की चैन छीन लिया है,
तेरे बिना जीने की आदत हो गई है।
तुम्हारे साथ हंसी-खुशी भरे पलों की यादें,
अब काटने लगी हैं मेरी रातें।
क्यों किया तुमने ऐसा इंकार,
मुझे तो लगता था, हमारी ये तो जबरदस्त जोड़ी है।
तुमने कहा था, तुम मेरे बगैर नहीं जी सकोगे,
मेरी तुमसे बिछड़ी दर्दी से तारीफें सुनकर मुझे क्यों किसी और का दिल बेचारा लगता है।
तन्हा रातों में तुम्हारी यादें,
छेड़ती हैं मेरे दिल के तार।
कैसे करूं मैं अब तुम्हें भुला,
कुछ बात तो थी जो हमारे बीच खोने का डर दिखा।
अब जाने कैसे गुजरेगी ये ज़िन्दगी,
तुम्हारे बिना मुझे बहुत डर लगता है।
पर मैं जानता हूँ,
कुछ चीजें होती हैं जो होती हैं सिर्फ एक वक्त के लिए,
जब दो लोग साथ होते हैं।
मैं समझता हूँ,
जो भी हुआ, अच्छे के लिए हुआ।
पर सच है, एक छोटी सी तीस को दिल से,
जो की कभी कोई भुला नहीं सकता।
-कवि लोकेश
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