दिल के रिश्तों की कहानी,
जो थी प्यार से बुंदेली।
अब वो टूटे हुए तारे,
कैसे बताऊँ ये कश्मकश जिंदगी की।
दर्दनाक थी वो फसल,
प्यार की बोटें कमजोरी से टूटी।
अब तन्हाई है साथी,
कैसे भूलूँ इस अफसोस की गहराई।
दिल की धड़कनें अब सुनाई नहीं देती,
कैसे भूलूँ उसकी एक झलक को।
अपने आप से रूठी हुई ज़िन्दगी,
कैसे जिऊँ इस तन्हाई को।
प्यार की राहों में मिली थी वो,
नजरें मिली, बातें हुई थीं खुशियाँ।
अब तन्हाई का ही साथ है,
कैसे सहें इस अलगाव की गहराई।
अब उसकी यादों का जलता है दीप,
दिल की दास्तान खौफनाक सी लगती है।
कैसे निकलूँ मैं इस दरिया से,
जो भरा है उसके ज़ख्मों से।
ब्रेकअप की तमाम कहानियाँ,
आँसूओं में लिपटी बेवफाई।
कैसे समेटूं मैं खुद को,
जो छिन गया, अब साथी।
-कवि लोकेश
Discover more from Kavya Manthan
Subscribe to get the latest posts sent to your email.